रत्नसंघ

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अखिल भारतीय श्री जैन रत्न आध्यात्मिक शिक्षण बोर्ड

Official Website 

वर्तमान के भौतिकवादी युग में सभी वर्ग के लोगों को नैतिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से सुसंस्कारित करने की महती आवश्यकता है। इसके लिए ज्ञान एवं आचरण जरूरी है। सच्चा-ज्ञान एवं सच्चा-आचरण मानव जीवन की अमूल्य निधि है। सम्यक् ज्ञान से जीवन में रहा हुआ अज्ञान, मिथ्यात्व एवं मिथ्या धारणाएँ समाप्त हो जाती हैं। सत् आचरण से जीवन में यतना, विवेकशीलता, क्षमाशीलता, सरलता, विनम्रता एवं निर्लोभता के सद्गुण प्रकट होते हैं। मानव जीवन की महत्ता एवं सार्थकता आचार और विचारों से, विनय और विवेक से, ज्ञान और क्रिया से अपने आपको समृद्ध बनाने में है।

तीर्थंकर भगवन्तों की वाणी जीवन को समृद्ध बनाने में आधार-स्तंभ का कार्य करती है। इसी जिनवाणी को जन-जन तक पहुँचाने में रत्नसंघ सक्रिय रूप से सन्नद्ध है। रत्नसंघ की गौरवशाली परम्परा के युगद्रष्टा, युगमनीषी, स्वाध्याय-सामायिक के प्रबल प्रेरक, परम पूज्य आचार्य भगवन्त, श्री 1008 श्री हस्तीमलजी म.सा. ने सम्यग्ज्ञान और सम्यक् आचरण की ज्योति जागृत करने हेतु ‘स्वाध्याय एवं सामायिक’ को अचूक औषधि के रूप में जन-जन के समक्ष प्रस्तुत किया, वहीं वर्तमान में रत्नसंघ के गौरव, संघ शिरोमणि, संघ नायक, परमश्रद्धेय आचार्य प्रवर श्री 1008 श्री हीराचन्द्रजी म.सा., महान् अध्यवसायी भावी आचार्य परम श्रद्धेय श्री महेन्द्र मुनि जी म.सा. आदि सन्त मण्डल एवं साध्वी प्रमुखा महासती श्री तेजकंवर जी म.सा. आदि सती मण्डल भी स्वाध्याय-सामायिक के साथ ही व्यसन-फैशन निवारण, व्रत-धारण आदि की महनीय एवं प्रभावी प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। आचार्य भगवन्त श्री हीराचन्द्र जी म.सा. के सदुपदेशों से प्रभावित होकर सितम्बर-1999 में ‘अखिल भारतीय श्री जैन रत्न आध्यात्मिक शिक्षण बोर्ड’ की स्थापना की गई।

 

आध्यात्मिक शिक्षण बोर्ड

  • सम्यग्ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की अभिवृद्धि करना।
  • जैनधर्म, दर्शन की जानकारी से सम्यग् श्रद्धा उत्पन्न करना।
  • जैनधर्म, आगम एवं तत्त्वज्ञान के विद्वान् तैयार करना।
  • जैनधर्म की विशेषताओं एवं सिद्धान्तों का क्रमिक अध्ययन करने का सुअवसर उपलब्ध कराना।
  • नैतिक एवं आध्यात्मिक संस्कारों का बीजारोपण करना।
  • श्रुत-सेवा एवं ज्ञानाराधना द्वारा जिनशासन की प्रभावना करना।
  • प्रार्थना, स्वाध्याय एवं सामायिक को समाज-धर्म के रूप में स्थापित करना।
  • परीक्षा का प्रारम्भ नवकार मन्त्र के मंगलाचरण से किया जाय। परीक्षा केन्द्र पर परीक्षार्थियों की बैठक व्यवस्था समुचित रूप से की जाय। एक ही कक्षा के परीक्षार्थी पास-पास नहीं बैठें, दो परीक्षार्थियों के बीच में डेढ़ हाथ का अन्तर होना आवश्यक है। एक – दूसरे की नकल नहीं करें, इस बात का पूरा ध्यान रखावें। परीक्षार्थियों को धार्मिक परीक्षा की महत्ता बतलाकर ईमानदारी से परीक्षा देने हेतु प्रेरित करें।
  • प्रश्न-पत्र समय पर नहीं मिले तो तुरन्त फोन नम्बर 0291-2630490, 7610953735, 93515-89694, 93526-73939 पर सम्पर्क करें। चैन्नई में मोबाईल नम्बर 94442-70145, पर सम्पर्क करें।
  • सभी कक्षाओं के लिए परीक्षा का समय दोपहर 12.30 से 3.30 बजे तक का निर्धारित है। परीक्षा निर्धारित समय पर प्रारम्भ हो तथा निर्धारित समय पर पूर्ण हो, इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है। देरी से आने वाले परीक्षार्थी को परीक्षा देने की अनुमति के सम्बन्ध में विवेकपूर्ण निर्णय ले सकते हैं, किन्तु उन्हें अतिरिक्त समय नहीं दिया जाय।
  • परीक्षार्थियों ने प्रश्न-पत्र तथा उत्तर पुस्तिका पर रोल नम्बर अंकों में एवं शब्दों में सही लिखे हैं, केन्द्र की निर्धारित कोड संख्या भी लिखी है, इसका मिलान परीक्षार्थियों की सूची से मिलान करावें। प्रश्न-पत्र पर अपने हस्ताक्षर अवश्य करें।
  • प्रश्न-पत्रों के साथ परीक्षार्थियों के नाम, रोल नम्बर आदि की सूची रूप उपस्थिति पत्रक भी भेजा जाता है। इस पत्रक में सभी परीक्षार्थियों के उनके रोल नम्बर के आगे उपस्थिति के हस्ताक्षर अवश्यक करावें। जिन परीक्षार्थियों के मोबाइल नम्बर नहीं लिखे हों, उनके मोबाइल नम्बर भी अवश्य अंकित करावें, ताकि परीक्षार्थियों को सीधे ही परीक्षा परिणाम आदि की सूचना तुरन्त प्राप्त हो सके।
  • परीक्षा समाप्ति पर पर्यवेक्षकों/निरीक्षकों से क्रमबद्ध प्राप्त उत्तरपुस्तिकाओं का उपस्थिति पत्रक से मिलान करें तथा पर्यवेक्षकों/निरीक्षकों की उपस्थिति में उत्तरपुस्तिकाएँ व उपस्थिति पत्रक पेकिंग करा दिरावें। परीक्षा सम्बन्धी सामग्री निरीक्षक के साथ अथवा कोरियर/पंजीकृत डाक/क्षेत्रीय प्रचारक के द्वारा उत्तर पुस्तिकाएँ जोधपुर कार्यालय में भिजवा दिरावें।
  • सम्बन्धित केन्द्र के परीक्षार्थियों के आवेदन का, परीक्षा परिणाम का तथा पुरस्कार आदि का विवरण अपने पास सुरक्षित रखें, ताकि आवश्यकता पड़ने पर परीक्षार्थियों से सम्पर्क किया जा सकें, परीक्षा देने हेतु प्रेरित किया जा सकें तथा उनकी समस्याओं का समाधान भी किया जा सकें।
  • केन्द्राधीक्षक अपने नवीनतम फोन नम्बर, मोबाईल नं., पता, ई-मेल एवं परीक्षा स्थल की जानकारी प्रधान कार्यालय को भिजवावें।
जैन कौन – देव – गुरु – धर्म 10
सामायिक मूल, 32 दोष एवं विधि सहित 30
उच्चारण शुद्धि के नियम 5
25 बोल में 1 से 13 तक (मूल) 20
भगवान महावीर 10
नवकार मंत्र, जय बोलो महावीर स्वामी की 10
24 तीर्थंकरों के नाम, सप्तकुव्यसन, पाँच अभिगम, विनय – स्वरूप, महत्त्व 15
सामायिक सूत्र अर्थ एवं प्रश्नोत्तर 40
25 बोल – 14 से 25 तक मूल 20
भगवान पाश्र्वनाथ 10
ओम शान्ति – शान्ति, जरा कर्म देखकर 10
ज्ञान प्राप्ति के बाधक कारण, महापापी, यतना – स्वरूप – महत्त्व 10
प्रथम कक्षा के सूत्र – तत्त्व में से 10
प्रतिक्रमण सूत्र – इच्छामि खमासमणो तक 30
25 बोल की परिभाषाएँ 20
67 बोल 10
भगवान ऋषभदेव 10
एक सौ आठ बार, दुनिया में देव 10
वन्दना का अर्थ एवं भेद, बारह भावना के दोहे, पाँच आचार, जैन धर्म और पर्यावरण 10
द्वितीय कक्षा के सूत्र तत्त्व में से 10
प्रतिक्रमण सूत्र – पूर्ण – विधि सहित 40
कर्म प्रकृति, उपयोग, संज्ञा का थोकड़ा, 14 नियम, 3 मनोरथ 20
भगवान शान्तिनाथ 10
मेरे अन्तर भया…… आओ भगवन् …… 10
नवकारसी, उपवास, दया एवं संवर के पाठ 10
सचित्त – अचित्त विवेक, जमीकन्द त्याग तृतीय कक्षा के सूत्र तत्त्व में से 10
प्रतिक्रमण सूत्र अर्थ एवं प्रश्नोत्तर 40
समिति गुप्ति का थोकड़ा 20
भक्तामर 1 से 16 श्लोक तक भावार्थ सहित 10
मैंने बहुत किए अपराध, जय जिनवर जय……….. 10
आयम्बिल, एकासन, पोरिसी के प्रत्याख्यान। 10
चतुर्थ कक्षा के सूत्र तत्त्व में से 10 10
दशवैकालिक अ. 1, 2 मूल अर्थ कठस्थ, जीवनोपयोगी गाथाएँ, अन्तगड सूत्र – सामान्य परिचय 35
गति – आगति, जयन्ती बाई का थोकड़ा 30
रत्नाकर पच्चीसी – (हिन्दी) 10
भक्तामर – 17 से 32 श्लोक तक भावार्थ सहित 10
सामान्य – रात्रि भोजन त्याग, अस्वाध्याय के 34 कारण, आगम – स्वरूप एवं विशेषताएँ, पौषधव्रत भेद एवं विशेषताएँ 15
दशवैकालिक अ. 3 मूल अर्थ कण्ठस्थ 30
अन्तगड सूत्र – सामान्य प्रश्नोत्तर, 15
नव तत्त्व (हिन्दी अर्थ) 40
भक्तामर – 33 से 48 श्लोक तक भावार्थ सहित 15
दशवैकालिक अ. 4 मूल व अर्थ कण्ठस्थ 30
लघुदण्डक का थोकड़ा 30
क्रोध – मान – माया – लोभ विजय 10
वीर स्तुति – मूल व शब्दार्थ, भावार्थ कण्ठस्थ 20
आराधक – विराधक की विशेषताएँ 10
उत्तराध्ययन अ. 3, 4 मूल व अर्थ कण्ठस्थ 40
तत्त्वार्थ – अ. 1, 2 भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर 20
अनेकान्त – स्वरूप 10
गुणस्थान स्वरूप का थोकड़ा 20
व्रत – प्रत्याख्यान सम्बन्धी जानकारी 10
उत्तराध्ययन अ. – 10 मूल व अर्थ कण्ठस्थ 25
तत्त्वार्थ अ. – 3, 4, 5 भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर 25
सुखविपाक – मूल व अर्थ कण्ठस्थ 10
प्राकृत व्याकरण अ. 1 से 5 10
जैन धर्म की मौलिक विशेषताएँ 10
जीव पज्जवा का थोकड़ा 20
उत्तराध्ययन अ. – 29 मूल व अर्थ कण्ठस्थ 40
तत्त्वार्थ अ. 6, 7 भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर 20
कर्मग्रन्थ भाग – 2 20
प्राकृत व्याकरण अ. 6 से 10 तक 10
स्थानकवासी परम्परा की मान्यताएँ 10
आचारांग सूत्र के – चयनित सूत्र30
तत्त्वार्थ अ. – 8, 9, 10 भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर30
प्राकृत व्याकरण अ. 11 से 15 तक10
कर्मग्रन्थ भाग – 320
राजप्रश्नीय सूत्र के प्रश्नोत्तर10

कक्षा 1 से 12 तक के इस पाठ्यक्रम की परीक्षा वर्ष में एक बार जुलाई माह में आयोजित की जाती है। यह परीक्षा राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू आदि प्रान्तों के साथ हांगकांग, बैकांग, अमेरिका आदि में भी आयोजित की जाती है। परीक्षार्थियों की सुविधा हेतु प्रत्येक कक्षा की पाठ्यक्रमानुसार सरल, सुबोध एवं प्रामाणिकता को लिये हुए पाठ्यपुस्तकें बोर्ड द्वारा प्रकाशित की गई हैं। कक्षा प्रथम से चतुर्थ का अंग्रेजी संस्करण के साथ ही गुजरती संस्करण भी प्रकाशित है।

शिक्षण बोर्ड की दोनों परीक्षाओं में वरीयता सूची (मेरिट लिस्ट) में स्थान पाने वालों को तथा अन्य उत्तीर्ण परीक्षार्थियों को प्रमाण-पत्र के साथ प्रोत्साहन पुरस्कार निम्नानुसार प्रदान किये जाते है

वरीयता सूची में (Merit)
कक्षा प्रथम द्वितीय तृतीय
1 से 4 2000 1500 1000 500 (चार से दस स्थान तक)
5 से 8 2500 2000 1500 750 (चार से सात स्थान तक)
9 से 12 4000 3000 2000
 
उत्तीर्ण सूची में (Passed Students)
कक्षा 50 से 69.99 अंक 70 से 89.99 90 व उससे अधिक
1 से 4 तक 150 /- 200/- 250/-
5 से 8 तक 200/- 250/- 300/-
9 से 12 तक 300/- 350/- 400/-

बोर्ड के वर्तमान के सम्पर्क सूत्र 878 हैं उनमें से लगभग 300 केन्द्रों पर परीक्षाएँ आयोजित होती हैं। उन सभी केन्द्रों के अधीक्षकों, निरीक्षकों एवं केन्द्राधीक्षकों का उत्साहवर्धन करने हेतु, उनके कार्यों की समीक्षा करने हेतु तथा समस्याओं का समाधान करने हेतु शिक्षण बोर्ड द्वारा प्रतिवर्ष कार्यशाला का आयोजन भी विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। अब तक जोधपुर, जलगांव, सिवाना, मुम्बई, जयपुर आदि स्थानों पर कार्यशालाएँ आयोजित हुई हैं।

शिविर बोर्ड की परीक्षाओं से पूर्व जिन-जिन केन्द्रों से परीक्षार्थियों/केन्द्राधीक्षकों की मांग प्राप्त होती है, वहाँ योग्य शिक्षकों के द्वारा परीक्षा के पाठ्यक्रम की तैयारी करवायी जाती है। परीक्षार्थियों की समस्याओं का यथोचित समाधान करने का प्रयास किया जाता है। विशेषकर पल्लीवाल, पोरवाल क्षेत्र, चैन्नई, जलगांव, जोधपुर, जयपुर आदि क्षेत्रों में समय समय पर ऐसे शिक्षण शिविरों का आयोजन शिक्षण बोर्ड द्धारा किया जाता है।

 

माहदिनांककार्यक्रम
अप्रेल-2023प्रचार प्रसार गुजरात, म.प्रदेश
मई-2023प्रचार प्रसार पल्लीवाल, पंजाब, हरियाणा
जून-2023प्रचार प्रसार मेवाड़, अजमेर
जुलाई-202323 जुलाईशिक्षण बोर्ड परीक्षा
अगस्त-2023उत्तर पुस्तिकाएँ जांच कार्य व परीक्षा परिणाम तैयार करना
सितम्बर-2023पुरस्कार वितरण
अक्टूबर-2023प्रचार प्रसार महाराष्ट्र
कार्यशाला (South Area)
नवम्बर-2023प्रचार प्रसार मेवाड़, अजमेर
जनवरी-2024जनवरीथोकड़ा परीक्षा
फरवरी-2024उत्तर पुस्तिकाएँ जांच कार्य व परीक्षा परिणाम तैयार करना
मार्च-2024पुरस्कार वितरण

मुख्य कार्यालय
अखिल भारतीय श्री जैन रत्न आध्यात्मिक शिक्षण बोर्ड
सामायिक स्वाध्याय भवन
प्लाट नं. 2, नेहरू पार्क
जोधपुर – 342003
TEL: 0291-2630490, 7610953735
Email: shikshanboardjodhpur@gmail.com

Bank Details
A/c Name : AKHIL BHARTIYA SHREE JAIN RATNA ADHYATMIK SHIKSHAN BOARD
A/c No. : 00592010048700
Bank name : PUNJAB NATIONAL BANK
IFSC Code : PUNB0005910
Branch : SOJATI GATE, JODHPUR (RAJ.)

जैनागम स्तोक वारिधि - थोकड़ा

जैनागम स्तोक वारिधि (थोकड़ा)- जैनागमों का सार थोकड़ों (स्तोकों) के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है। इसीलिए थोकड़ों को आगमों की कुंजी कहा जाता है। तत्त्वज्ञान को विकसित करने हेतु इस बोर्ड द्धारा जैनागम स्तोक वारिधि पाठ्यक्रम वर्ष 2011-12 में प्रारंभ किया गया है।

  • 25 बोल
  • 67 बोल
  • सुपच्चक्खाण .
  • दुपच्चक्खाण
  • संज्ञा
  • सवणे नाणे
  • कर्म प्रकृति
  • गति.आगति
  • चैदह गुणस्थान का
  • बासठिया
  • रूपी . अरूपी
  • उपयोग
  • नवतत्त्व
  • जयन्तीबाई
  • भव भ्रमण
  • श्वासोच्छ्वास
  • श्रमण निग्र्रन्थों के सुख की तुल्यता
  • समिति.गुप्ति
  • ज्ञान लब्धि
  • 32 बोल का बासठिया
  • पाँच देव
  • छोटी गतागत

 

  • लघुदण्डक
  • गुणस्थान
  • द्रव्येन्द्रिय
  • आठ आत्मा
  • असंयत भव्य द्रव्य देव

 

  • अबाधाकाल
  • 98 बोल का बासठिया
  • विरह
  • दिशाणुवाई
  • छः काय

 

  • 47 बोल की बन्धी
  • जीव पज्जवा
  • अजीव पज्जवा
  • 256 राशि
  • 50 बोल की बन्धी

 

  • जीवधड़ा
  • 102 बोल का बासठिया
  • आहार पद
  • आत्मारंभी
  • छः भाव

 

  • सर्वबन्ध-देशबन्ध
  • नियण्ठा
  • संजया
  • 800 बोल की बन्धी
  • पदवी
  • काय स्थिति
  • भाषा पद
  • पुद्गल परावर्तन
  • मड़ाई अणगार
  • सिद्धों का थोकड़ा
  • नय निक्षेप आदि
  • 24 तीर्थंकरों का लेखा
  • ईरियावही बंध
  • समवशरण
  • केवली समुद्घात
  • गमा
  • सप्रदेशी-अप्रदेशी
  • अवधिज्ञान
  • छह आरा
  • स्वप्नों का थोकड़ा

केन्द्रीय - पदाधिकारी

संयोजक

श्री अशोक कुमार जी बाफना

सहसंयोजक

श्री प्रशांत जी पारख

सचिव

श्री आकाश जी चौपड़ा

कोषाध्यक्ष

श्री गौतम जी जैन

संयोजक

श्री अशोक कुमार जी बाफना

सहसंयोजक

श्री प्रशांत जी पारख

सचिव

श्री सुभाष चंद जी नाहर

कोषाध्यक्ष

श्री गौतम जी जैन

संयोजक

श्री अशोक जी चोरड़िया

सहसंयोजक

श्री अशोक जी बाफना

सचिव

श्री नवरत्न जी गिड़िया

कोषाध्यक्ष

श्री आदित्य सिद्धार्थ जी गांग

संयोजक

श्री सुरेश बी जी चोरड़िया

सहसंयोजक

श्री राजेश जी कर्णावट

सचिव

श्री नवरत्न जी गिड़िया

कोषाध्यक्ष

श्री अशोक जी चोरड़िया

संयोजक

श्रीमती सुशीला जी बोहरा

सहसंयोजक

श्री गौतम जी कवाड़

सचिव

श्री राजेश जी कर्णावट

कोषाध्यक्ष

श्री सुरेश जी मुल्तानी

संयोजक

श्रीमती सुशीला जी बोहरा

सहसंयोजक

श्री सुरेश बी जी चोरड़िया

सचिव

श्री राजेश जी कर्णावट

कोषाध्यक्ष

श्री सुरेश जी मुल्तानी

संयोजक

श्रीमती विमला जी मेहता

सहसंयोजक

श्री सुरेश बी जी चोरड़िया

सचिव

श्री डॉ राकेश जी कांकरिया

कोषाध्यक्ष

श्री मन्नालाल जी बोथरा

संयोजक

श्रीमती विमला जी मेहता

सहसंयोजक

श्री पी.एम जी चोरड़िया

सचिव

श्री नवरतन जी डागा

कोषाध्यक्ष

श्री सुरेश जी मेहता

पत्रावली

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ई-संदेश भेजे