1 नगर, 2. रथ, 3. चक्र, 4. पद्म, 5. चन्द्र, 6. सूर्य, 7. समुद्र और 8. मेरु की जिसे उपमा दी जाती है, ऐसे ज्ञान दर्शन चारित्र तप संपन्न गुणाकार-गुणसमुद्र संघ को मैं सतत स्तुति करता हूँ
अखिल भारतीय श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ के द्धारा अनुमोदित एवं अखिल भारतीय श्री जैन रत्न युवक परिषद् द्धारा क्रियान्वित रत्नसंघीय परिवारो का सूचना संग्रहण कार्यक्रम का उद्देश्य रत्न संघ के सभी सदस्यों का विवरण संकलित कर संघ एवं उनकी सहयोगी संस्थाओं के उत्थान के लिये उनका उपयोग करना एवं संघ की सभी योजनाओं, कार्यक्रमों की जानकारी संघ के प्रत्येक सदस्य तक पहुँचाना हैं ।
उत्तर – समान आचार व विचार के व्यक्ति तो अनेकों होते हैं, पर उनमें से गहरी आस्था उन्ही की प्रतिबिंबित होती हैं, जो चिह्नित कर दिए गये हो । यही आपका चिह्निकरण हैं ।
उत्तर- हाॅ, यह संघ द्वारा अनुमोदित योजना हैं, जिसक क्रियान्वयन अ.भा. श्री जैन रत्न युवक परिषद् मे माध्यम से किया जा रहा हैं । प्रत्येक चाही गयी सूचना का विशिष्ट महत्व हैं । चाही गयी सूचनाओं का संघ के विभिन्न उद्देश्यों के साथ इनका अलग-अलग महत्व हैं । अतः पूर्व में भरे गये फार्म के समानांतर इसे नही समझा जाना चाहियें ।
उत्तर- यह व्यक्तिपरक हैं । अतः तीन वर्ष से अधिक वय के व्यक्तिगत फार्म पृथक रूप से लिये जा रहे हैं । यद्यपि फार्म में काफी सुचनाएं समान होती हैं पर सम्बंधिकरण में भेद होता हैं । इसे आप आधार कार्ड की भाॅति व्यक्तिगत सूचना तंत्र भी समझ सकते हैं ।
उत्तर – इससे संघ का सूचना तंत्र विकसित होगा । सूचना का आदान प्रदान आसान होगा । इससे आगे चलकर चिकित्सा के क्षेत्र में अन्य समाज की भाॅति ग्रुप मेडिकल बीमा हेतु प्रयास कर इसे मुर्त रूप प्रदान किया जा सकेगा ।
उत्तर – नही, फार्म भरना शुरू करते समय आपके मोबाईल नम्बर पर एक संदेश आता हैं । आपको उसमें आपका फार्म नम्बर एवं फार्म भरने की तारीख प्राप्त होती हैं । आप वेबसाईट पर एडिट फार्म पर क्ल्कि करके वहाॅ पर फार्म नम्बर एवं फार्म भरने की दिनाॅक डालने पर आपको अपना भरा हुआ फार्म पुनः प्राप्त हो जायेगा । आप अपना फार्म पुर्ण कर सकते हैं या उसमें आवश्यक सुधार कर सकते हैं ।
उत्तर – आप एडिट फार्म (Edit Form) पर क्लिक करें वहाॅ पर आपको फोरगोट पासवर्ड (Forgot Password) का आप्शन प्राप्त होगा, उस पर क्लिक करके वहाॅ पर अपना नाम एवं मोबाईल नम्बर की जानकारी प्रदान करें । दोनो जानकारी सही होने की दशा में आपके मोबाईल पर फार्म नम्बर एवं फार्म भरने की दिनाॅक का संदेश आपको पुनः प्राप्त हो जायेगा । इसकी सहायता से आप अपना फार्म एडिट कर सकती हैं ।
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पोरसी का प्रत्याख्यान
उग्गए सूरे पोरिसियं पच्चक्खामि चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अण्णत्थणाभोेगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि।। पच्चक्खाण पारने का पाठ
.........................पच्चक्खाणं कयं तं पच्चक्खाणं सम्मंकाएणं, न फासियं, न पालियं, न तीरियं, न किट्टियं, न सोहियं, न आराहियं, आणाए अणुपालियं न भवइ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।
नवकारसी
पोरसी
डेढ़ पोरसी
दो पोरसी
सूर्योदय
07:25 AM IST
सूर्यास्त
05:57 PM IST
नोट- रिक्त स्थान में जो पच्चक्खाण किया हो उसका नाम बोलें जैसे णमुक्कारसहियं, पोरिसियं, एगासणं आदि।
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स्थानकवासी परम्परा और उसकी मौलिक मान्यताएँ
भगवान महावीर की विशुद्ध परम्परा निग्र्रन्थ, श्रमण, सुविहित आदि विविध रूपों का पार करती हुई समय के प्रभाव से स्थानकवासी के नाम से पुकारी जाने लगी। ‘स्थानक’ शब्द का अर्थ बहुतव्यापक…….
जैन धर्म अनादि है, सनातन है, शास्वत है। शास्त्रीत मान्यानतानुसार कालचक्रम में उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी दो कालचक्र हैं, जिन्हें वृद्धिमान और हीयमान नाम से भी कह सकते हैं।……..
अखिल भारतीय श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ एवं सहयोगी संस्थाएं,
शरद चन्द्रिका मोहफत राज मोहणोत सामायिक स्वाध्याय भवन,
प्लॉट न. 2, ओस्वाल छात्रावास के सामने,
नेहरू पार्क, जोधपुर - 342001