रत्नसंघ

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पूंजणी (PUNJANI)

कीड़ी—मकौड़ी आदि छोटे—बड़े सभी जीवों की रक्षा करने के लिए सहायक साधन पूंजणी कहलाती है। यह ऊन की बनी होती हैं। इसमें लगभग 52 फलियां होती हैं। ऊन की फलियां सफेद रंग की तथा उनका नीचे का हिस्सा मुलायम होना चाहिए ताकि प्रतिलेखना करते समय जीवों को ठेस नहीं पहुंचे, उनकी विराधना नहीं हो।

चाहे श्रावक हो अथवा श्राविका हो, सभी के लिए मुंहपत्ति व पूंजणी ये दो उपकरण तो सामायिक, दया, संवर, पौषध, प्रतिक्रमण आदि धार्मिक क्रिया करते समय होने ही चाहिए।

सामान्यतः इसका माप

  • श्रावकों की पूंजणी में ऊन की फलिया डण्डी में बांधकर रखी जाती है। यह डण्डी लकड़ी की होनी चाहिए तथा इसकी लम्बाई लगभग 12 अंगुल की होनी चाहिए। इसमें लगभग 52 फलियां होती हैं
  • श्राविकाओं की पूंजणी में लकड़ी की डण्डी न होकर लकड़ी अथवा प्लास्टिक का कुछ अर्ध गोलाकार नाका होता है। उसमें ऊन की फलियों को धागे में पिरोकर बांधी जाती है। इसमें लगभग 52 फलियां होती हैं