नवकार मंत्र, लोगस्स, नमोत्थुणं आदि-आदि का जप करने, उनको बार-बार बोलने, एक ही पाठ अथवा पाठांश को एक से अधिक बार बोलने में माला अत्यन्त उपयोगी रहती है।
माला में प्रायः 108 मनके होते है। ये लकड़े के हो तो उत्तम है। धागे में 108 गांठे बनाकर भी माला तैयार की जा सकती है।
पंच परमेष्ठि के क्रमशः 12, 8, 36, 25 व 27 गुण होते है, इन गुणों का योग 108 होता है अतः माला में 108 मनके होते है। पंच परमेष्ठि के गुणों की संख्या 108 होने से इस 108 की संख्या को उत्तम माना जाता है। मन्त्रादि की सिद्धि में भी 108 की संख्या का विशेष महत्त्व माना गया है।