रत्नसंघ

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सुपात्रदान विवेक-22 (Supatradaan Vivek-22)

साणी पावार……………….उग्गहंसि अज्जाइया।।

गृहपति की आज्ञा के बिना साधु किसी द्वार आदि आवरण को इसलिए न खोले कि न जाने अंदर गृहस्थी की कौन-सी क्रिया हो रही हो? ऐसे में यदि मुनि अचानक उसके पास पहुँच जायेंगे तो घर वालों को क्रोधादि उत्पन्न होने की संभावना है अतः समय के जानने वाले विवेकशील साधु जैसा द्रव्य क्षेत्र, काल और भाव को देखे वैसा ही व्यवहार करे और जो क्रिया करे, उसमें उत्सर्ग-मार्गव अपवाद मार्ग का आश्रय अवश्य ले ले।

गोचरी के लिए घरों में गया हुआ पूर्ण यतनावान् साधु आगल को, द्वार को अथवा कपाट आदि को अवलंबन कर खड़ा न होवे। प्राचीनकाल के घरों में चूडी के दरवाजे रहते थे या चैनल गेट, शटर आदि में जीव विराधना की संभावना रहती है ऐसे दरवाजे नहीं खोले साथ ही आजकल चूड़ी रहित दरवाजे खोलने में भी विवेक और सावधानी रखने की आवश्यकता है।

ऐसे गेट खोलने से कई बार चिड़िया आदि के द्वारा ऐसे स्थान पर घौंसले रख देने से उसमें उत्पन्न अण्डे या किसी भी प्रकार के जीव कि हिंसा हो सकती है और इसी तरह चेनल गेट में भी पूरी तरह से नहीं दिखपाने के कारण उसे भी नहीं खोलना चाहिये। आजकल प्रायः बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक गेट होते उसमें भी साधु प्रवेश नहीं करें।

गृहस्थ के बंद द्वारा को उसकी आज्ञा के बिना खोलकर जाने से कई दोष लगने की संभावना है-1. यदि कोई बहन स्थान कर रही हो तो वह साधु को देखकर उस पर क्रुद्ध हो सकती है। 2. घर का मालिक आवेशवश साधु को अपशब्द भी कह सकता है। 3. यदि उसके घर से कोई चीज चली जाये तो साधु पर उसका दोषारोपण भी कर सकता है। 4. द्वार खुलने से पशु अन्दर जाकर कुछ पदार्थ खा भी जाये या इस तरह बिना आज्ञा दरवाजा खोलकर जाने से कई दोष लगने की संभावना है अतः साधु को घर के व्यक्ति की आज्ञा लिए बिना उसके घर के दरवाजे को खोलकर अंदर नहीं जाना चाहिये।

श्रावक विवेक रखे कि चैनल गेट इत्यादि या इलेक्ट्रिक लॉक से युक्त दरवाजे साधु भगवन्तों की गोचरी के समय बंद न रखे। विवेक पूर्ण निर्णय लेवे जिससे आया अवसर हाथ से न जावे।

साधु भगवन्त अगर नगर में हो या समीप ही स्थानक में हो तो भावना भाता हुआ श्रावक इलेक्ट्रिक लॉक इत्यादि से दरवाजा बंद नहीं रखे क्योंकि ऐसे लॉक खोलने से अग्निकाय (बिजली) की विराधना संभव है और साधु द्वार पर आकर भी वापस लौट सकते। घर आयी गंगा कही वापस नहीं चली जाये इस हेतु सुज्ञ श्रावक विवेक रखें।